
बैठते थे कभी झील किनारे
तुम, मैं और ख्वाब हमारे
खो गए है जो अब सारे
न जाने कहाँ चले गए वो ख्याल प्यारे-प्यारे
बैठ कर करते थे हम बातें कितनी
शायद कभी न कर पाये उतनी
है झील भी वहां और किनारे भी वहां
हूँ मैं भी वहीँ पहले होते थे हम जहाँ
है सभी वहां पहले थे जहाँ
खो गए हो बस तुम न जाने कहाँ
खोज रहा हूँ यहाँ से वहां
इस नगर से उस नगर
इस डगर से उस डगर
शहर शहर से लेकर गाँव गाँव में
शायद बैठी मिल जाओ पीपल की छाँव में
कम से कम कोई इतना बता दे
खोजू कहाँ तुम्हे, इसका पता दे
न जाने चले गए हो तुम कहाँ छोड़ कर मुझको अकेला यहाँ
इंतजार तुम्हारा में करता हूँ
हर आहट का ध्यान रखता हूँ
गुजारिश करता हुँ मैं सबसे
खोज लाये तुमको कहीं से
खोज लाये तुमको कहीं से
तुम और मैं को हम बना दे फ़िर से
तुम और मैं को हम बना दे फ़िर से.............
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तुम, मैं और ख्वाब हमारे
खो गए है जो अब सारे
न जाने कहाँ चले गए वो ख्याल प्यारे-प्यारे
बैठ कर करते थे हम बातें कितनी
शायद कभी न कर पाये उतनी
है झील भी वहां और किनारे भी वहां
हूँ मैं भी वहीँ पहले होते थे हम जहाँ
है सभी वहां पहले थे जहाँ
खो गए हो बस तुम न जाने कहाँ
खोज रहा हूँ यहाँ से वहां
इस नगर से उस नगर
इस डगर से उस डगर
शहर शहर से लेकर गाँव गाँव में
शायद बैठी मिल जाओ पीपल की छाँव में
कम से कम कोई इतना बता दे
खोजू कहाँ तुम्हे, इसका पता दे
न जाने चले गए हो तुम कहाँ छोड़ कर मुझको अकेला यहाँ
इंतजार तुम्हारा में करता हूँ
हर आहट का ध्यान रखता हूँ
गुजारिश करता हुँ मैं सबसे
खोज लाये तुमको कहीं से
खोज लाये तुमको कहीं से
तुम और मैं को हम बना दे फ़िर से
तुम और मैं को हम बना दे फ़िर से.............
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