Tuesday, July 29, 2008

hostel k woh din..........

बीता था हॉस्टल में जो कल

याद आ रहा है वो एक एक पल

फच्चा period में वोह seniors को 90 मारना

रोज़ सुबह उठ कर jogging के लिए जबरदस्ती जाना

seniors से बचने क लिए PCO पर लाइन लगाना

interaction period खत्म होने का बेसब्री से इंतजार करना

फ़िर freshers night में वो सबको मिष्ठी दही खाना-खिलाना

seniors-juniors के साथ वो water fight

it didn't matter whether it was day or night

events के लिए देर रात जग कर तय्यारी करना

अगले दिन सुबह क्लास में जाकर 1st बेंच पर सोना

events के time वो गला फाड़ कर cheering करना

फ़िर अगले event के लिए vicks और strepsils खाना

वो exams में दोस्तों से नोट्स मांगना

वो किसी topper को exam से पहले class लेने के लिए मानना

फ़िर उस class में आधे समय इधर उधर की बकर करना

exams के दिनों में वो रात को खेलने जाना

कभी volley, कभी basky तो कभी baddy खेलना


वो summers में summer job के नाम hostel में रुकना

कुछ नही करना बस prof के पास attendence लगा लौट आना

hostel में आकर फ़िर एक के बाद एक movies देखना,

RoadRash खेलना, गप्पे लड़ना और खूब सोना

वो hostel के खाने से दूर भागना

Maddu या दम आलू वाले दिन मेस में न घुसना

वो सस्सी, वो HFC, वो KL पर lunch और dinner

कुछ नही तो उपहार, मेज़बान & जायका are always there

जब मन नही हो रहा हो इंडियन खाने का,

pizzatime का 1+1 Free पिज्जा ऑफर लेने का,

then chinese was also an option available at chanakya

sizzlers, momos, choupsey और न जाने क्या क्या

वही चाणक्या में रात को movies देखना,

25 Rs की टिकट लेकर सीट के लिए दौड़ना,

अगले दिन फ़िर वही बोरिंग क्लास और वही labs में टाइमपास

लेकिन इस रूटीन से होता नही था मन कभी उदास

भुलाये नही भूलती वो पुणे, गोवा वाली industrial trip

then Goa Express वाली वो यादगार journey,

जब अचानक आ गई थी छक्को की कंपनी

10 min के लिए create हो गया था जो scene

i am sure भूले नही होंगे लोग वो दिन

फ़िर trip के वो दस दिन जिसमे थी visits केवल तीन,

लोगो का महाबलेश्वर, लोनावाला और मुंबई जाना,

लेकिन गोवा जाने से पहले वापस लौट आना

then गोवा में बिताये 3 दिन, जो निकले visits के बिन

restlessly bikes पर घूमना और beaches पर नहाना

आखरी दिन train में बैठते ही फ़िर सबका सो जाना


देखते ही देखते निकल गए साढ़े तीन साल

और शुरू हो गए कैम्पस में कंपनियों की चाल

job treat पर लोगो का पीना और नाचना

और फ़िर अचानक ये सब ख़तम हो जाना

पता न चला कैसे चला गया लास्ट मेजर

और आ गया हमारा hostel में वोह आखरी दिन

एक एक करके वोह दोस्तों का घर जाना

और माहौल वो थोड़ा सा heavy होना

याद अभी भी है hostel का वो एक एक पल

बीता था यारो के साथ जो कल

4 comments:

sakshi gupta said...

parag ur blog is 2 much nice dude...........
itz so amazing......dear kaiose likh lete ho itna aacha.............very very nice.........
n
superb,rocking,fultush......mast..........

Neelabh said...

Good one, yaar. You have covered almost everything. Keep it up.

mahima said...

written frm heart........college ki yaad aa gayee hai

धीरज चौरसिया said...

एक दम मस्त यार, खास कर ये दो लाईन..

वो exams में दोस्तों से नोट्स मांगना
वो किसी topper को exam से पहले class लेने के लिए मानना
फ़िर उस class में आधे समय इधर उधर की बकर करना .....